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मैथिली हैकू

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हैकू सौंदर्य आऽ भावक जापानी काव्य विधा अछि, आऽ जापानमेकरा कव्य-विधाक रूप देलन्हि कवि मात्सुओ बासो १६४४-१६९४। एकर रचनाक लेल परम अनुभूति आवश्यक अछि। बाशो कहने छथि, जे जे क्यो जीवनमे ३ सँ ५ टा हैकूक रचना कएलन्हि से छथि हैकू कवि आऽ जे दस टा हैकूक रचना कएने छथि से छथि महाकवि। भारतमे पहिल बेर १९१९ ई. मे कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर जापानसँ घुरलाक बाशोक दू टा हैकूक शाब्दिक अनुवाद कएले रहथि।

पुरनोपुकुर
व्यंगेरलाफ
जलेर शब्द

आऽ

पचाएडालि
एकटा के

शरत्काल।

हैकूक लेल मैथिली भाषा आऽ भारतीय संस्कृत आश्रित लिपि व्यवस्था सर्वाधिक उपयुक्त्त अछि। तमिल छोड़ि शेष सभटा दक्षिण आऽ समस्त उत्तर-पश्चिमी आऽपूर्वी भारतीय लिपि आऽ देवनागरी लिपि मे वैह स्वर आऽ कचटतप व्यञ्जन विधान अछि जाहिमे  जे लिखल जाइत अछि सैह बाजल जाइत अछि। मुदा देवनागरीमे जे ह्रस्व इकार एकर अपवाद अछि, एतय लिखल जाइत अछि पहिने मुदा बाजल जाइत अछि बादमे। मुदा मैथिलीमे ई अपवाद सेहो नहि अछि- यथा अछि ई बाजल जाइत अछि अ ह्र्स्व इकार छ वा अ इ छ। दोसर उदाहरण लिअ- राति- रा इ त। तँ सिद्ध भेल जे हैकूक लेल मैथिली सर्वोत्तम भाषा अछि। एकटा आर उदाहरण लिअ। सन्धि संस्कृतक विशेषता अछि? मुदा की इंग्लिशमे संधि नहि अछि। तँ ई की अछि- आइम गोइङ टूवार्ड्सदएन्ड। एकरा लिखल जाइत अछि- आइ एम गोइङ टूवार्ड्स द एन्ड। मुदा पाणिनि ध्वनि विज्ञानक आधार पर संधिक निअम बनओलन्हि, मुदा इंग्लिशमे लिखबा कालमे तँ संधिक पालन नहि होइत छैक , आइ एम केँ ओना आइम फोनेटिकली लिखल जाइत अछि, मुदा बजबा काल एकर प्रयोग होइत अछि। मैथिलीमे सेहो यथासंभव विभक्त्ति शब्दसँ सटा कए लिखल आऽ बाजल जाइत अछि।

जापानमे ईश्वरक आह्वान टनका/ वाका प्रार्थना ५ ७ ५ ७ ७ स्वरूपमे होइत छल जे बादमे दू लेखक द्वारा ५ ७ ५ आऽ ७ ७ केर स्वरूप प्राप्त कएलक आऽ एकरा रेन्गा कहल गेल। रेन्गाक दरबारी स्वरूप गांभीर्य ओढ़ने छल आऽ बिन गांभीर्य बला स्वरूप वणिकवर्गक लेल छल। बाशो वणिक वर्ग बला रेन्गा रचलन्हि। रेन्गाक आरम्भ होक्कुसँ होइत छल आऽ हैकाइ एकर कोनो आन पंक्त्तिकेँ कहल जाऽ सकैत छल। मसाओका सिकी रेन्गाक अन्तक घोषणा कएलन्हि १९म शताब्दीक प्रारम्भमे जाऽ कए आऽ होक्कु आऽ हैकाइ केर बदलामे हैकू पद्यक समन्वित रूप देलन्हि। मुदा बाशो प्रथमतः एकर स्वतंत्र स्वरूपक निर्धारण कए देने छलाह।

हैकू निअम १. १७ अक्षरमे लिखू, आऽ ई तीन पंक्त्तिमे लिखल जाइत अछि- ५ ७ आऽ ५ केर क्रममे। रचना लिखबासँ पहिने स्तंभमे वार्णिक छन्दक वर्णन क्रममे हम लिखने रही जे संयुक्त्ताक्षरकेँ एक गानू आऽ हलन्तक/ बिकारीक/ इकार आकार आदिक गणना नहि करू।

हैकू निअम २.व्यंग्य हैकू पद्यक विषय नहि अछि, एकर विषय अछि ऋतु। जापानमे व्यंग्य आऽ मानव दुर्बलताक लेल प्रयुक्त विधाकेँ ’सेर्न्यू’ कहल जाइत अछि आऽ एहिमे किरेजी वा किगो केर व्यकरण विराम नहि होइत अछि।

हैकू निअम ३. प्रथम ५ वा दोसर ७ ध्वनिक बाद जापानमे किरेजी- व्याकरण विराम- देल जाइत अछि।

हैकू निअम ४. जापानीमे लिंगक वचन भिन्नता नहि छैक। से मैथिलीमे सेहो वचनक समानता राखी सैह उचित होएत।

हैकू निअम ५. जापानीमे एकहि पंक्त्तिमे ५ ७ ५ ध्वनि देल जाइत अछि। मुदा मैथिलीमे तीन ध्वनिखण्डक लेल ५ ७ ५ केर तीन पंक्त्तिक प्रयोग करू। मुदा पद्य पाठमे किरेजीक अतिरिक्त्त एकहि श्वासमे पाठ उचित होएत।

हैकू निअम ६. हैबुन एकटा यात्रा व्रूत्तांत अछि जाहिमे संक्षिप्त वर्णनात्मक गद्य आऽ हैकू पद्य रहैत अछि। बाशो जापानक बौद्ध भिक्षु आऽ हैकू कवि छलाह आऽ वैह हैबुनक प्रणेता छथि। जापानक यात्राक वर्णन ओऽ हैबुन द्वारा कएने छथि। पांचटा अनुच्छेद आऽ एतबहि हैकू केर ऊपरका सीमा राखी तखने हैबुनक आत्मा रक्षित रहि सकैत अछि, नीचाँक सीमा १ १ केर तँ रहबे करत। हैकू गद्यक अन्तमे ओकर चरमक रूपमे रहत।– सम्पादक

 

सोझाँ झंझारपुरक रेलवे-सड़क पुल। १९८७ सन्। झझा देलक कमला-बलानक पानिक धार, बाढ़िक दृश्य। फेर अबैत छी छहर लग। हमरा सोझाँमे एकठामसँ पानि उगडुम होइत झझात बाहर अछि अबैत। फेर ओतएसँ पानिक धार काटए लगैत अछि माटि। बढ़ए लगैत अछि पानिक प्रवाह, अबैत अछि बाढ़ि। घुरि गाम दिशि अबैत छी। हेलीकॉप्टरसँ खसैत अछि सामग्री। जतए आयल जलक प्रवाह ओतए सामग्रीक खसेबा लए सुखाएल उबेड़ भूमिखण्ड अछि बड़ थोड़। ओतए अछि जन- सम्मर्द। हेलीकॉप्टर देखि भए जाइत अछि घोल। अपघातक अछि डर हेलीकॉप्टर नहि खसबैत अछि ओतए खाद्यान्न। बढ़ि जाइत अछि आगाँ। खसबैत अछि सामग्री जतए पानि बिनु पड़ैत छल दुर्भिक्ष, बाढ़िसँ भेल अछि पटौनी। कारण एतए नहि अछि अपघातक डर। आँखिसँ हम ई देखल। १९८७ ई.।

पएरे पार

केने कमला धार,

आइ विशाल

   

 

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